मुंबई: दिनेश मीरचंदानी
राज्य की राजनीति में बड़ी हलचल, 36 विधानसभा सीटों पर अब तक उम्मीदवारों की घोषणा नहीं। महायुति और महाविकास अघाड़ी, दोनों गठबंधनों के बीच गहरे असमंजस ने प्रदेश की चुनावी रणभूमि में अस्थिरता और अनिश्चितता का माहौल खड़ा कर दिया है। इस देरी ने राजनीतिक दलों के भीतर भी तनाव और रणनीति में बड़े बदलाव का संकेत दिया है।
विशेष रूप से विदर्भ क्षेत्र की 13 सीटें, जैसे अकोट, अकोला पश्चिम, कारंजा, मेलघाट, मोर्शी, अरवी, सावनेर, उमरेड, गढ़चिरौली, चंद्रपुर, वरोरा, अरनी, और उमरखेड़ पर उम्मीदवारों की घोषणा न होने से राजनीतिक समीकरण लगातार बदल रहे हैं और क्षेत्र में खलबली मची हुई है।
इसके अलावा, नांदेड़ दक्षिण, डेगलूर, मालेगांव सेंट्रल, दहानू, वसई, भिवंडी पूर्व, कल्याण पश्चिम, उल्हासनगर, बोरीवली, वर्सोवा, मानखुर्द शिवाजीनगर, शिवडी, पेन, खडकवासला, पुणे छावनी, श्रीरामपुर, बीड, माधा, सोलापुर सेंट्रल, पंढरपुर, मालशिरस, दोनों फलटण और कोल्हापुर उत्तर भी उन प्रमुख क्षेत्रों में शामिल हैं, जिन पर अब तक किसी दल ने उम्मीदवारों का चयन नहीं किया है।
सूत्रों के अनुसार, उल्हासनगर की सीट सबसे ज्यादा विवादित मानी जा रही है। यहां उम्मीदवार चयन को लेकर अंदरूनी असहमति चरम पर है, और इससे जुड़े घमासान ने इस सीट को विशेष रूप से चर्चित बना दिया है। उल्हासनगर की सीट पर प्रत्याशी चयन में हो रही देरी को देखते हुए यहां के चुनावी नतीजों पर हर किसी की नजर है।
इस प्रकार, 36 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा में हो रही देरी चुनावी माहौल को और गर्म कर रही है, जिससे प्रदेश की राजनीति में अनिश्चितता और तनाव बढ़ता जा रहा है।
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