(फाइल फोटो)
मुंबई: दिनेश मीरचंदानी
सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम को कमजोर करने की कोशिशों पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने बीएमसी आयुक्त अजीत मेहता द्वारा आरटीआई कार्यकर्ताओं को 'वसूलीकर्ता', 'ब्लैकमेलर', और 'पेशेवर शिकायतकर्ता' कहे जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है।
न्यायमूर्ति आर.एम. बोर्डे की खंडपीठ ने मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) से इस बयान के लिए कानूनी आधार पर सफाई मांगी है और दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश आरटीआई और सामाजिक कार्यकर्ता कमलाकर शिंदे द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया।
बीएमसी आयुक्त के बयान पर सवाल
याचिकाकर्ता के वकील अधिवक्ता आदित्य भट्ट ने अदालत को बताया कि बीएमसी आयुक्त अजीत मेहता ने एक मीडिया साक्षात्कार में आरटीआई कार्यकर्ताओं पर गंभीर आरोप लगाए और उन्हें 'ब्लैकमेलर' तथा 'वसूलीकर्ता' करार दिया। यह बयान न केवल आरटीआई कार्यकर्ताओं की छवि धूमिल करता है, बल्कि उनके संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है।
परिपत्र की जानकारी नहीं दी गई
भट्ट ने अदालत को बताया कि जब उनके मुवक्किल ने इस कथित बयान से संबंधित परिपत्र की प्रति बीएमसी से मांगी, तो इसे प्रदान करने से इनकार कर दिया गया। भट्ट ने दलील दी कि इस तरह का बयान न केवल आरटीआई कार्यकर्ताओं के सम्मान को ठेस पहुंचाता है, बल्कि आरटीआई अधिनियम की मूल भावना को भी कमजोर करता है।
आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया
याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की है कि बीएमसी आयुक्त का बयान तुरंत वापस लिया जाए और यदि इस संदर्भ में कोई परिपत्र जारी किया गया है, तो उसे रद्द किया जाए। भट्ट ने जोर देकर कहा कि आरटीआई कार्यकर्ता देश में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए काम करते हैं और उन्हें इस तरह से बदनाम करना अस्वीकार्य है।
अदालत का आदेश
अदालत ने बीएमसी से दो सप्ताह के भीतर अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा है। बीएमसी का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सखारे और वकील त्रिप्ती पुराणिक द्वारा रखा जाएगा। मामले की अगली सुनवाई तक कोर्ट ने इसे गंभीर मुद्दा मानते हुए बीएमसी को पूरी तरह तैयार होकर आने का निर्देश दिया है।
आरटीआई अधिनियम की रक्षा पर जोर
यह मामला आरटीआई अधिनियम और पारदर्शिता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण बन गया है। आरटीआई कार्यकर्ताओं ने इसे अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई बताते हुए कहा कि यह मामला केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे जनहित के लिए है।
अब सबकी नजरें बीएमसी के जवाब और कोर्ट के अगले कदम पर टिकी हैं।